सामुदायिक रेडियो: समुदाय एवं लाइसेंसिंग प्रक्रिया की समझ महत्वपूर्ण

By Jitender Sharma

977762_575804602441861_1725703488_oसामुदायिक रेडियो की लाइसेंसिंग प्रक्रिया से गुजरने और 4 साल तक रेडियो स्टेशन चलाने के बाद मैं जब भी सामुदायिक रेडियो के बारे में किसी नई संस्था को जानकारी देता था तो ज्यादातर वही जानकारियां देता तो जो सार्वजनिक तौर पर इंटरनेट या मिनिस्ट्री की वेबसाईट पर उप्लब्ध हैं | ये बहुत ही सामान्य जानकारियाँ हुआ करती थीं जैसे कि आवेदन करने वाली संस्था 3 साल से ज्यादा पुरानी  होनी चाहिए, जिस क्षेत्र या समुदाय में संस्था काम कर रही है उस समुदाय से ही आवेदन करे आदि |

हालांकि इन जानकारियों के बाद मेरा इच्छुक आवेदनकर्ताओं से अनुरोध रहता था कि आवेदन करने के पूर्व वो एक बार  मिनिस्ट्री की वेबसाइट और CRFC टीम का मार्गदर्शन अवश्य प्राप्त करें लेकिन ज़्यादातर आवेदनकर्ता बिना त्तेयारी के आवेदन कर देते हैं | इस साल 27 मई को जब मुझे पहली बार स्क्रीनिंग कमेटी का हिस्सा बनने  का मौका मिला तब मुझे एहसास हुआ कि आवेदन करने वाली संस्था को सामुदायिक रेडियो के संचालन और सिद्धांतों की विस्तृत जानकारी होना बेहद जरुरी है  |

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा आयोजित की जा रही जागरूकता कार्यशालाएं सामुदायिक रेडियो के बारे में जागरूकता फ़ैलाने और प्रचार-प्रसार में काफी फायदेमंद साबित हो रहीं हैं | ऐसे आवेदनकर्ता जो कि इन कार्यशालाओं के जरिये आवेदन भरकर स्क्रीनिंग कमेटी तक पहुँचते हैं,वे स्क्रीनिंग कमेटी के समक्ष अपनी बात ज्यादा बेहतर ढंग से रख पाते हैं|वहीं दूसरी तरफ, कुछ आवेदनकर्ताओं को छोटी –मोटी कमी के कारण अगली स्क्रीनिंग कमेटी का इंतज़ार करना पड़ता है |

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय द्वारा शुरू से ही ये प्रयास किया जाता रहा है कि सामुदायिक रेडियो की आवेदन प्रक्रिया को ज्यादा से ज्यादा सरल बनाया जाए|लेकिन ये प्रयास तब धीमा होता नज़र आता है जब आवेदन करने वाली संस्था एप्लीकेशन में मांगे गए दस्तावेज़ उपलब्ध नहीं करवा पाती या फिर संस्था रेडियो स्टेशन खोलने के अपने उद्देश्यों को सही तरह से कमेटी के समक्ष प्रस्तुत नहीं कर पाती |

दोनों ही हालातों में आवेदनकर्ता के पास सामुदायिक रेडियो की समझ और लाइसेंस प्रकिया के बारे में जानकारी का अभाव है | मैंने मंत्रालय की कई जागरूकता कार्यशालाओं में हिस्सा लिया है | तीन दिन तक चलने वाली इन कार्यशालाओं में कम्युनिटी रेडियो स्टेशन से जुड़े हर मुद्दे पर चर्चा होती है और अपने-अपनेसत्र में सभी विशेषज्ञ अपने विषय की जानकारी प्रतिभागियों कोदेते है और साथ ही उनके प्रश्नों का समाधान भी करते हैं | लेकिन फिर भी बहुत ही कम संस्थाएं कम्युनिटी रेडियो स्टेशन के लिए किये गए अपने आवेदन को गंभीरता से आगे बढाती हैं | ऐसे में अपने अनुभवों से मैं यह कहना चाहता हूँ कि जो भी संस्था ये वर्कशॉप आयोजित करवाए वो सभी प्रतिभागियों को कम्युनिटी रेडियो स्टेशन की आवेदन की पूरी प्रक्रिया और उनकी समुदाय की समझ को केंद्र में रखकर कार्यशाला का कार्यक्रम तैयार करे|

एक दशक बीत जाने के बावजूद हम 500 कम्युनिटी रेडियो स्टेशन का आंकड़ा भी नहीं छू पाये हैं, ऐसे में अब यह जानने का वक़्त है कि हमारे प्रयासों में कहाँ कमी रही|व्यतिगत तौर पर मुझे लगता है कि कम्युनिटी रेडियो फैसिलिटेशन सेंटरको हर जागरूकता कार्यशाला में थोड़ा और समय मिलना चाहिए क्यूंकि CRFC की टीम आवेदनकर्ताओं की समस्याओं से हर दिन रूबरू होती है |

इसके साथ ही अब सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय को अपनी जागरूकता कार्यशालाओं के लिए उन जिलों को चुनना होगा जहाँ सामुदायिक रेडियो स्टेशन नहीं हैं |सूचना और तकनीकी के इस युग में सामुदायिक रेडियो के बारे में जागरूकता के लिए कुछ नए तरीको की ज़रुरत है जिससे कि अच्छे परिणाम सामने आ सकें | हमारे देश के बारे में कहा जाता है कि कोस कोस पर बदले पानी, चार कोस पर वाणीऔर इसी तरह अगर हर चार कोस पर कम्युनिटी रेडियो स्टेशन की फ्रीक्वेंसी बदल जाये तो बात ही कुछ और हो जाए|

जितेंदर शर्मा किसान वाणी कम्युनिटी रेडियो स्टेशन, सिरोंज, ISAP के स्टेशन मैनेजर हैं